Summary of Polythene Bag for Bihar Board Students in English
Subject: – English
Class: – Tenth Bihar Board
Section: – Poetry
Chapter: – Third
Chapter Name: – Polythene Bag
Poet: – Durga Prasad Panda
The poet in this poem has tried to throw high on the bad effects of “Polythene” on the environment. As we know the polythene and its products have invaded our day to day living and without carrying regarding its ill effects. We have adopted this material is part of our life. The poet has tried to find out as to how the nature of polythene and that of human life is almost the same. There is same correlation between human emotions and a simple thing like polythene.
The poet says that a man gets hurt and the pain never subsides insides like a polythene bag which never gets dissolved in the crust of the earth.
When a polythene bag is touched it makes a shrill noise, when it burns it emits a poisonous. Smoke and if the bag is allowed to he inside the earth for a longer time it pollutes the atmosphere. Similarly, if a wound by generates inside the heart by somebody’s painful act, it never dies.
When a polythene bag comes bag comes, into, contact of fire, it immediately melts down. The ‘hurt’ behaves in the same manner in human’s body. It melts with slightest of warmth. But then again the pain inside the mind and body grows like bacteria. It is just like the degeneration of the polythene bag which his inside the garbage him unseen by others for-long long time. Only the pain caused by the hurt comes back off and on giving a feeling of agony and suffering.
Summary of Polythene Bag for Bihar Board Students in Hindi also:-
बिहार बोर्ड के छात्रों के लिए पॉलिथीन बैग का सारांश
विषय अंग्रेजी
कक्षा: – दसवीं बिहार बोर्ड
धारा: – कविता
अध्याय: – तीसरा
अध्याय का नाम: – पॉलिथीन बैग
कवि: – दुर्गा प्रसाद पांडा
इस कविता में कवि ने पर्यावरण पर “पॉलिथीन” के बुरे प्रभावों को उच्च करने की कोशिश की है। जैसा कि हम जानते हैं कि पॉलिथीन और इसके उत्पादों ने हमारे दिन-प्रतिदिन के रहने और इसके दुष्प्रभावों के बारे में जाने के बिना आक्रमण किया है। हमने इस सामग्री को अपनाया है जो हमारे जीवन का हिस्सा है। कवि ने यह पता लगाने की कोशिश की है कि पॉलिथीन की प्रकृति और मानव जीवन की प्रकृति लगभग समान है। मानवीय भावनाओं और पॉलिथीन जैसी एक साधारण चीज के बीच एक ही संबंध है।
कवि कहता है कि एक आदमी को चोट लगती है और दर्द कभी भी पॉलिथीन की थैली की तरह नहीं रहता है जो पृथ्वी की पपड़ी में कभी नहीं घुलता है।
जब एक पॉलीथिन बैग को छुआ जाता है तो यह एक तीखी आवाज करता है, जब यह जलता है तो यह एक जहरीला उत्सर्जन करता है। धुआं और अगर बैग को पृथ्वी के अंदर उसे लंबे समय तक रहने दिया जाए तो यह वातावरण को प्रदूषित करता है। इसी तरह, अगर किसी के दर्दनाक काम से दिल के अंदर घाव पैदा हो जाता है, तो वह कभी नहीं मरता।
जब एक पॉलिथीन बैग आता है तो बैग आता है, आग के संपर्क में आने पर यह तुरंत पिघल जाता है। मानव शरीर में ‘चोट’ उसी तरह से व्यवहार करता है यह थोड़ी गर्मी से पिघलता है। लेकिन फिर से मन और शरीर के अंदर का दर्द बैक्टीरिया की तरह बढ़ता है। यह पॉलीथिन की थैली के अध: पतन की तरह है, जो उसके कचरे के अंदर उसे लंबे समय तक दूसरों द्वारा अनदेखा करती है। केवल चोट लगने के कारण होने वाला दर्द वापस आ जाता है और पीड़ा और पीड़ा का अहसास देता है।